एक बार विचार - विमर्श जरूर करें
🤔
थानेदार- क्या बात है?
पुजारी- चोरी हो गई।
थानेदार- आपके घर।
पुजारी- नहीं
थानेदार- आपके पड़ोसियों के घर में
पुजारी- नहीं
थानेदार- आपके रिश्तेदार के घर
पुजारी- नहीं
थानेदार- तो फिर गांव में मोहल्ले में
पुजारी- नहीं
थानेदार गुस्से में- तो फिर बताता क्यों नहीं चोरी कहां हुई है ?
पुजारी- मंदिर में
थानदार- मंदिर किसका है ?
पुजारी- भगवान का
थानेदार- कौन से भगवान का ?
पुजारी- भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान कृष्ण, लक्ष्मी देवी, पार्वती देवी ओर राधा देवी का
थानेदार- तो वो उनका घर हुआ
पुजारी- हां जी
थानेदार- ओह ! तो वहां तीन फैमिली रहती हैं
पुजारी- वे फैमिली नहीं भगवान और देवीयां हैं
थानेदार- घर उनका हुआ तो फिर तुम क्यों आए रपट लिखाने ? उनको आना चाहिए । सांईन भी उन्हीं के चाहिएँ
पुजारी- वो नहीं आ सकते
थानेदार- गाड़ी में बैठ वहीं चलते हैं । मुआयना भी कर लेगें ओर सांईन भी करा लेगें क्योंकि कानूनन बिना सांईन के रपट नहीं लिख सकते
😂मंदिर पहुंच कर
थानेदार मूर्तियों कि तरफ मुखातिब होकर पूछा- बताओ घर के मालिको ! कहां , कैसे और क्या क्या चोरी हुआ ?
पुजारी- साहब ये नहीं बता सकते
थानेदार- क्यों ये गूंगे बहरे हैं जो सुन बोल नहीं सकते
पुजारी- साहब ये पत्थर की मूर्तियां हैं सुन बोल नहीं सकती
थानेदार- घर के मालिक सुन बोल नहीं सकते फिर कैसे कहां से कितना क्या चोरी हुआ ?
पुजारी- साहब इस गुल्लक को तोड़ कर चोरी हुई है रोजाना 15 से 20 हजार पब्लिक इस गुल्लक में डालती है महीने के आखिरी दिन मैं इसे खोलता हूँ 5-6 लाख मिलते हैं । आज महीने का आखिरी दिन है वे पैसे मेरे होते हैं
थानेदार- तुम्हारे बयान के मुताबिक घर तुम्हारा नहीं, धन तुम्हारा नहीं और धन लेते तुम हो।
तुम धन लेकर अब तक चोरी ही कर रहे थे । वो धन किसी और ने ले लिया तो क्या हुआ
पुजारी- नहीं साहब मैं चोर नहीं , वो धन मेरा ही था
थानेदार- इसका मतलब ये धार्मिक स्थल या श्रद्धा स्थल नहीं । लोगों को बेवकूफ बना कर धन्धा स्थल बना रखा है ।
पुजारी नजरें झुका कर नीचे देखने लगा🤦🤔
#पाखंड_मिटाओ
#शिक्षित_बनो_शिक्षित_करो
WhatsApp University
🤔
थानेदार- क्या बात है?
पुजारी- चोरी हो गई।
थानेदार- आपके घर।
पुजारी- नहीं
थानेदार- आपके पड़ोसियों के घर में
पुजारी- नहीं
थानेदार- आपके रिश्तेदार के घर
पुजारी- नहीं
थानेदार- तो फिर गांव में मोहल्ले में
पुजारी- नहीं
थानेदार गुस्से में- तो फिर बताता क्यों नहीं चोरी कहां हुई है ?
पुजारी- मंदिर में
थानदार- मंदिर किसका है ?
पुजारी- भगवान का
थानेदार- कौन से भगवान का ?
पुजारी- भगवान विष्णु, भगवान शिव, भगवान कृष्ण, लक्ष्मी देवी, पार्वती देवी ओर राधा देवी का
थानेदार- तो वो उनका घर हुआ
पुजारी- हां जी
थानेदार- ओह ! तो वहां तीन फैमिली रहती हैं
पुजारी- वे फैमिली नहीं भगवान और देवीयां हैं
थानेदार- घर उनका हुआ तो फिर तुम क्यों आए रपट लिखाने ? उनको आना चाहिए । सांईन भी उन्हीं के चाहिएँ
पुजारी- वो नहीं आ सकते
थानेदार- गाड़ी में बैठ वहीं चलते हैं । मुआयना भी कर लेगें ओर सांईन भी करा लेगें क्योंकि कानूनन बिना सांईन के रपट नहीं लिख सकते
😂मंदिर पहुंच कर
थानेदार मूर्तियों कि तरफ मुखातिब होकर पूछा- बताओ घर के मालिको ! कहां , कैसे और क्या क्या चोरी हुआ ?
पुजारी- साहब ये नहीं बता सकते
थानेदार- क्यों ये गूंगे बहरे हैं जो सुन बोल नहीं सकते
पुजारी- साहब ये पत्थर की मूर्तियां हैं सुन बोल नहीं सकती
थानेदार- घर के मालिक सुन बोल नहीं सकते फिर कैसे कहां से कितना क्या चोरी हुआ ?
पुजारी- साहब इस गुल्लक को तोड़ कर चोरी हुई है रोजाना 15 से 20 हजार पब्लिक इस गुल्लक में डालती है महीने के आखिरी दिन मैं इसे खोलता हूँ 5-6 लाख मिलते हैं । आज महीने का आखिरी दिन है वे पैसे मेरे होते हैं
थानेदार- तुम्हारे बयान के मुताबिक घर तुम्हारा नहीं, धन तुम्हारा नहीं और धन लेते तुम हो।
तुम धन लेकर अब तक चोरी ही कर रहे थे । वो धन किसी और ने ले लिया तो क्या हुआ
पुजारी- नहीं साहब मैं चोर नहीं , वो धन मेरा ही था
थानेदार- इसका मतलब ये धार्मिक स्थल या श्रद्धा स्थल नहीं । लोगों को बेवकूफ बना कर धन्धा स्थल बना रखा है ।
पुजारी नजरें झुका कर नीचे देखने लगा🤦🤔
#पाखंड_मिटाओ
#शिक्षित_बनो_शिक्षित_करो
WhatsApp University
Forwarded from Knowledge Republic
दवा अस्पताल और डॉक्टर ही हैं दुनिया के रखवाले!
मुंबई में सिद्धि विनायक, मुंबा देवी और तुलजा भवानी सहित अनेक मंदिर और धार्मिक स्थान बंद कर दिए गए हैं।
लेकिन छोटे बड़े सारे अस्पताल दिन रात खुले हैं!
व्याधि का उपचार प्रसाद प्रार्थना में नहीं अस्पताल चिकित्सा और औषधि में है। यह बात हमको समझनी चाहिए और समझानी भी चाहिए।
पुजारी बनाने से बेहतर है कुछ और डॉक्टर तैयार करो। सबसे बड़ा मंदिर सबसे बड़ी मस्जिद की जगह सबसे बड़े अस्पताल बनवाओ।
जीवन रहेगा तो धर्म और देवता भी रहेंगे। आरती चढ़ावा और प्रसाद भी रहेगा। नमाज़ पढ़ी जाएगी। दुआ होती रहेगी।
उचित दवा लें। डॉक्टर का कहना माने। चिकत्सालय की शरण जाएं।
अल्ला भगवान गॉड सब को उनके हाल पर छोड़ दें!
वे तो दुनिया के रखवाले हैं ही।
अपना ध्यान रखें। हाथ धोते रहें। यह नई बीमारी है तो इसका तोड़ धर्म और उनकी पुरानी पड़ चुकी पोथियों में नहीं नए अध्ययन से निकलेगा। बच्चों को नया सोचने और पढ़ने और खोजने का वातावरण दें। दंगे और उत्पात नहीं हैं समाज और बीमारी का उपचार!
[बोधिसत्व, मुंबई]
मुंबई में सिद्धि विनायक, मुंबा देवी और तुलजा भवानी सहित अनेक मंदिर और धार्मिक स्थान बंद कर दिए गए हैं।
लेकिन छोटे बड़े सारे अस्पताल दिन रात खुले हैं!
व्याधि का उपचार प्रसाद प्रार्थना में नहीं अस्पताल चिकित्सा और औषधि में है। यह बात हमको समझनी चाहिए और समझानी भी चाहिए।
पुजारी बनाने से बेहतर है कुछ और डॉक्टर तैयार करो। सबसे बड़ा मंदिर सबसे बड़ी मस्जिद की जगह सबसे बड़े अस्पताल बनवाओ।
जीवन रहेगा तो धर्म और देवता भी रहेंगे। आरती चढ़ावा और प्रसाद भी रहेगा। नमाज़ पढ़ी जाएगी। दुआ होती रहेगी।
उचित दवा लें। डॉक्टर का कहना माने। चिकत्सालय की शरण जाएं।
अल्ला भगवान गॉड सब को उनके हाल पर छोड़ दें!
वे तो दुनिया के रखवाले हैं ही।
अपना ध्यान रखें। हाथ धोते रहें। यह नई बीमारी है तो इसका तोड़ धर्म और उनकी पुरानी पड़ चुकी पोथियों में नहीं नए अध्ययन से निकलेगा। बच्चों को नया सोचने और पढ़ने और खोजने का वातावरण दें। दंगे और उत्पात नहीं हैं समाज और बीमारी का उपचार!
[बोधिसत्व, मुंबई]
बाबा साहेब कहते थे कि ‘मैं किसी समाज की तरक्की इस बात से देखता हूं कि उस समाज की महिलाओं ने कितनी तरक्की की है।’ दुनिया में यदि नारी सशक्तिकरण के अथाह प्रयास किसी ने किए किए तो यकीनन वह नाम डॉ. अंबेडकर है।
चाहे 1940 के दशक में मैटरनिटी लीव जैसा अत्याधुनिक विचार हो 1950 के दशक में प्रतिनिधित्व व मताधिकार का मामला हो या फिर 1960 के दशक में संपत्ति, तलाक तथा लैंगिक समानता की गारंटी जैसे अधिकार हों।
20वीं शताब्दी में बाबा साहब ने जिस पितृसत्ता को खुली चुनौती दी थी, उसका नमूना इस बात से समझना है कि आज़ादी से पहले महिलाओं में केवल राजाओं की रानियों तथा कुछ विशिष्ट वर्ग की महिलाओं को कानूनन वोट देने के अधिकार था।
https://www.bahujan.net/2020/04/how-babasaheb-ambedkar-observes-the-progress-of-a-society-hindi-article.html
चाहे 1940 के दशक में मैटरनिटी लीव जैसा अत्याधुनिक विचार हो 1950 के दशक में प्रतिनिधित्व व मताधिकार का मामला हो या फिर 1960 के दशक में संपत्ति, तलाक तथा लैंगिक समानता की गारंटी जैसे अधिकार हों।
20वीं शताब्दी में बाबा साहब ने जिस पितृसत्ता को खुली चुनौती दी थी, उसका नमूना इस बात से समझना है कि आज़ादी से पहले महिलाओं में केवल राजाओं की रानियों तथा कुछ विशिष्ट वर्ग की महिलाओं को कानूनन वोट देने के अधिकार था।
https://www.bahujan.net/2020/04/how-babasaheb-ambedkar-observes-the-progress-of-a-society-hindi-article.html
'चीन हमारी सेनाओं में घुसा ही नहीं है' कहकर, क्या प्रधानमंत्री ने सैनिकों की शहादत का अपमान नहीं किया है. क्या ये बयान उल्टा हमारे ही शहीदों को कटघरे में खड़ा नहीं करता? यदि चीन ने हमारी सीमा में आकर, अचानक से कायराना हमला किया ही नहीं है तो हमारे 20 सैनिक कैसे शहीद हो गए? तो क्या हमारे सैनिक चीन की सीमाओं में टहलते हुए शहीद हुए हैं?
अपनी गद्दी बचाने के लिए प्रधानमंत्री पर और भी अवसर आते, वह बाकी तरीकों से भी प्रधानमंत्री पद पर बने रहते, लेकिन इसके लिए शहीदों के हत्यारे चीन को क्लीनचिट नहीं देनी चाहिए थी। यही बयान कांग्रेस या सपा-बसपा किसी पार्टी का कोई बड़ा नेता ने दिया होता तो अब तक हैशटैग चल चुके होते. टीवी मीडिया इस्तीफ़ा मांगने पर अड़ी होती. भाजपा युवा मोर्चा के बेरोजगार लड़के अब तक दर्जनों पुतले फूंक चुके होते.
लेकिन प्रधानमंत्री ने जितने निम्नस्तर पर आकर खुद को बचाने के लिए डिफेंड किया है वह सोचने को मजबूर करता है कि कैसा व्यक्ति हमारे देश पर शासन कर रहा है। कल को चीन हमारे सैंकड़ों सैनिकों की जान ले ले, तब भी भारत के प्रधानमंत्री यही कहेंगे वह तो मामूली झड़प थी, सीमा पर कुछ हुआ ही नहीं है.
इतना सबकी समझ में आता है कि सीमा विवाद के मसले एक दिन में हल नहीं होते, इतना भी समझ आता है कि सीमा विवाद अभी लंबा चलेगा. जब तक दो देश सहमत नहीं होंगे तब तक शांति बहाली नहीं हो सकती. इतना सब देश का प्रत्येक नागरिक समझता है. लेकिन आप यदि कुछ अधिक कर नहीं सकते तो कम से कम सैनिकों के सम्बंध में सही जानकारी तो देश को दीजिए. देश को इतना जानने का हक तो है कि उसके बच्चों के साथ सीमा पर क्या हो रहा है?
आप प्रधानमंत्री पद की सीट बचाने के लिए इतना तो मत गिरिए कि बाकी दुनिया कहे देखो भारत का प्रधानमंत्री कितने निम्न किस्म का इंसान है कि दर्जनों जवानों के शहीद हो जाने पर भी अपनी सीट बचाने के लिए झूठ बोलता है.
— श्याम मीरा सिंह
अपनी गद्दी बचाने के लिए प्रधानमंत्री पर और भी अवसर आते, वह बाकी तरीकों से भी प्रधानमंत्री पद पर बने रहते, लेकिन इसके लिए शहीदों के हत्यारे चीन को क्लीनचिट नहीं देनी चाहिए थी। यही बयान कांग्रेस या सपा-बसपा किसी पार्टी का कोई बड़ा नेता ने दिया होता तो अब तक हैशटैग चल चुके होते. टीवी मीडिया इस्तीफ़ा मांगने पर अड़ी होती. भाजपा युवा मोर्चा के बेरोजगार लड़के अब तक दर्जनों पुतले फूंक चुके होते.
लेकिन प्रधानमंत्री ने जितने निम्नस्तर पर आकर खुद को बचाने के लिए डिफेंड किया है वह सोचने को मजबूर करता है कि कैसा व्यक्ति हमारे देश पर शासन कर रहा है। कल को चीन हमारे सैंकड़ों सैनिकों की जान ले ले, तब भी भारत के प्रधानमंत्री यही कहेंगे वह तो मामूली झड़प थी, सीमा पर कुछ हुआ ही नहीं है.
इतना सबकी समझ में आता है कि सीमा विवाद के मसले एक दिन में हल नहीं होते, इतना भी समझ आता है कि सीमा विवाद अभी लंबा चलेगा. जब तक दो देश सहमत नहीं होंगे तब तक शांति बहाली नहीं हो सकती. इतना सब देश का प्रत्येक नागरिक समझता है. लेकिन आप यदि कुछ अधिक कर नहीं सकते तो कम से कम सैनिकों के सम्बंध में सही जानकारी तो देश को दीजिए. देश को इतना जानने का हक तो है कि उसके बच्चों के साथ सीमा पर क्या हो रहा है?
आप प्रधानमंत्री पद की सीट बचाने के लिए इतना तो मत गिरिए कि बाकी दुनिया कहे देखो भारत का प्रधानमंत्री कितने निम्न किस्म का इंसान है कि दर्जनों जवानों के शहीद हो जाने पर भी अपनी सीट बचाने के लिए झूठ बोलता है.
— श्याम मीरा सिंह